पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री तीन सितंबर को विधानसभा में एंटी रेप बिल पेश करेंगी. इस बिल में रेप के आरोपी को 10 दिनों में मौत की सजा का प्रावधान किया गया है. राज्य कैबिनेट ने बिल के मसौदे को मंजूरी दे दी है. रेप जैसे मामलों में सजा के लिए केंद्रीय कानून हैं. क्या कोई राज्य अलग बलात्कार विरोधी कानून लागू कर सकता है? वह कानून राज्य में किस तरह से प्रभावी हो सकता है? आइए जानते हैं इस बारे में.
पश्चिम बंगाल विधानसभा का दो दिवसीय विशेष अधिवेशन सोमवार से शुरू हो रहा है. सोमवार को विधानसभा की कार्यवाहीमृतकों को श्रद्धांजलि देने के बाद स्थगित कर दी जाएगी. वहीं, मंगलवार को ममता बनर्जी की सरकार की ओर से रेप के आरोपी को 10 दिनों में मौत की सजा के प्रावधान का बिल लाया जाएगा. ममता बनर्जी की सरकार द्वारा विधानसभा में रेप के आरोपियों को मौत की सजा के बाबत बिल लाये जाने पर सवाल उठाए जा रहे हैं. बीजेपी इसे लेकर ममता बनर्जी की सरकार पर हमला बोल रही है. बीजेपी ने विधासनभा में जिन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी, उनमें मृतका को भी शामिल करने की मांग की है और विधासनभा में एंटी रेप बिल को राजनीति करार दिया है.
कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर की रेप-मर्डर मामले की जांच सीबीआई कर रही है. ममता बनर्जी ने पहले ही मांग कर चुकी है कि आरोपी को मौत की सजा दी जाए. सीएम ममता बनर्जी ने रेप जैसे मामलों में मौत की सजा के प्रावधान और जल्द सुनवाई किये जाने का मुद्दा उठाते हुए दो बार प्रधानमंत्री को पत्र लिख चुकी हैं.
फांसी की सजा की मांग कर रही हैं ममता
राजनीतिक सूत्रों के अनुसार, सत्तारूढ़ दल ने राज्य के लोगों को संदेश दिया कि वे दोषियों को दंडित करने के इच्छुक हैं. इसीलिए ये बिल लाया जा रहा है. अगर बिल विधानसभा से पास हो गया तो राज्यपाल, राष्ट्रपति के पास जाएगा.राज्य के नागरिकों को संदेश भेजा जा सकता है. कानून पारित नहीं करने के लिए केंद्र पर उंगलियां उठाई जाएंगी. इससे पहले तृणमूल ने विधानसभा में सीएए के विरोध में प्रस्ताव पारित किया था. आम लोगों तक यह संदेश गया कि राज्य केंद्र के सीएए लागू करने का समर्थन नहीं कर रहा है.