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हिंदू धर्म में तिथि के हिसाब से क्यों मनाए जाते हैं त्योहार?

हिंदू धर्म के सारे व्रत और त्योहार हिंदू पंचांग के हिसाब से किए जाते हैं. पंचांग में उदया तिथि के साथ ही दिन बदलता है. जिसके अनुसार व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं. इसके बारे में पूरी जानकारी के लिए पढ़ें लेख…

आप लोगों ने अक्सर देखा होगा हिंदू धर्म में ज्यादातर व्रत और त्योहार उदया तिथि के अनुसार ही मनाए जाते हैं और हिन्दू धर्म में सबसे ज्यादा उदया तिथि को ही खास महत्व दिया गया है. ज्यादातर ज्योतिष भी उदया तिथि से शुरू होने वाले व्रत और त्योहार को मनाने की सलाह देते हैं, चाहे उस व्रत या त्योहार की तिथि एक दिन पहले ही क्यों न शुरू हो चुकी हो. उदया तिथि का मतलब है, जो तिथि सूर्योदय के साथ शुरू होती है. उस तिथि का प्रभाव पूरे दिन रहता है.

ज्योतिषाचार्य पंडित नारायण हरि शुक्ला ने टीवी9 हिंदी डिजिटल से बातचीत में बताया कि हिंदू धर्म के सारे व्रत और त्योहार हिंदू पंचांग के हिसाब से किए जाते हैं. पंचांग तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण से मिलकर कैलेंडर तैयार होता है. पंचांग में कोई भी तिथि 19 घंटे से लेकर 24 घंटे की हो सकती है. तिथि का ये अंतराल सूर्य और चंद्रमा के अंतर के हिसाब से तय किया जाता है. ये तिथि चाहे कभी भी लगे, लेकिन इसकी गणना सूर्योदय के आधार पर ही की जाती है.

पंचांग के अनुसार, सूर्योदय के साथ ही नए दिन की शुरुआत होती है. ऐसे में जो तिथि सूर्योदय के साथ शुरू होती है, उसका प्रभाव पूरे दिन रहता है. उस दिन कोई दूसरी तिथि ही क्यों न लग जाए. जैसे मान लीजिए कि आज सूर्योदय के समय चतुर्थी तिथि है और वो सुबह 10ः32 बजे खत्म हो जाएगी और रंग पंचमी तिथि लग जाएगी, तो भी चतुर्थी तिथि का प्रभाव पूरे दिन रहेगा और रंग पंचमी का पर्व 30 मार्च को ही मनाया जाएगा, क्योंकि सूर्योदय के समय पंचमी तिथि होगी. ऐसे में 30 मार्च को चाहे दिन में षष्ठी तिथि क्यों न लग जाए, लेकिन पूरे दिन पंचमी तिथि का प्रभाव ही माना जाएगा.

उदया तिथि के हिसाब से नहीं होता हर व्रत

पंडित ने इसके अलावा ये भी बताया कि उदया तिथि का हिंदू शास्त्रों में विशेष महत्व अवश्य है, लेकिन हर त्योहार या व्रत उदया तिथि के हिसाब से नहीं किया जा सकता. कुछ व्रत और त्योहार काल व्यापिनी तिथि के हिसाब से भी किए जाते हैं. जैसे करवाचौथ के व्रत में चंद्रमा की पूजा होती है, ऐसे में ये व्रत उस दिन रखा जाएगा, जिस दिन चंद्रमा का उदय चौथ तिथि में हो रहा है. ऐसे में अगर चौथ तिथि उदय काल में नहीं भी होती है और दिन में या शाम को लगती है, तो भी करवा चौथ उसी दिन रखा जाएगा क्योंकि करवाचौथ के व्रत में चतुर्थी के चांद की पूजा होती है.

 

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